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देह के बाद क्या देश को निरोगी करेंगे बाबा रामदेव ?

बाबा की व्यूहचना पर भी गौर किया जाना चाहिए 
बाबा रामदेव के नई राजनैतिक पार्टी बनाने के निर्णय से राजनैतिक दलों, खासकर भाजपा की चिंता मूलतः राजनीति के व्यवसाय में एक ओर मजबूत प्रतिद्वन्द्वी के आने की आशंका अधिक जान पड़ती है। भाजपा के सेनापति नितिन गड करी ने तो बाबा से ऐसा न करने का आव्हान कर यह वादा प्रकट किया है कि भाजपा उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करेगी। 
गड करी ने जो तर्क दिये है उनके अनुसार बाबा यदि नई पार्टी बनाते है तो जो वोटों का बॅंटवारा होगा, उसका लाभ कॉंग्रेस को मिलेगा। वास्तव में, बाबा के नये संकल्प तथा गड करी के बयान दोनों के कई आयाम है जिन पर व्यापक बहस की गुंजाईश हैं।
सबसे पहले बाबा के संकल्प की बात की जाए। भारतीय संस्कृति के इतिहास में गुरू वशिष्ट से लेकर समर्थ रामदास तक अनेक ऋषि-मुनियों ने संकटकाल में आगे आकर समाज को दुष्प्रवृत्तियों से बचाने के 'धर्म' के मूल कार्य को संपादित किया है। यदि आधुनिक संत 'गांधी' को भी इसी श्रेणी में रखा जाए तो किसी को शायद ही आपत्ती हो।
अतः बाबा रामदेव ने शरीर के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये योग को और राष्ट्र तथा समाज के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये भ्रष्टाचार मिटाने को यदि लक्ष्य बनाया है तो यह तो हमारी संत परम्परा को ही आगे बढाने  वाला है। उन्होंने समस्या की सही नब्ज पकड  कर अपने संकल्प की दिशा में बढ ने के लिये प्रजातंत्र की मूल शक्ति 'जनता' को जागृत करने का मार्ग अपनाया और इस हेतु 'भारत स्वाभिमान ट्रस्ट' का जो अभियान चलाया है वह भी एक सुविचारित जमावट लगती है। 
इस अभियान को निर्णायक बनाने के लिए वे अब नई राजनैतिक पार्टी बनाकर बाबा अपने करोड़ों   शिष्यों को वोट में तब्दील करने की अपेक्षा कर रहे हैं तो इसमें क्या गलत है ? उनका यह सोच भी अब जायज लगता है कि राजनीति में फैली गंदगी की सडांध को मिटाने के लिये वर्तमान दलों पर भरोसा करने के स्थान पर खुद एक बेहतर विकल्प प्रस्तुत करना एक सीधी और कारगर कार्यवाही होगी।
अब जरा गडकरी के बयान के निहितार्थो पर विचार किया जाए। प्रथम तो यह कि या तो गड़करी बाबा की नई पार्टी को केवल वोट बॉंटते वाला मानते है और इसलिये उनका मूल लक्ष्य न सधने की आशंका है। अर्थात्‌ उन्हें बाबा के पक्ष में एक बड ा वोट बैंक आ जायेगा, ऐसा नहीं लगता। 
दूसरी बात यह कि मतों का जो विभाजन होगा उसमें उन्हें भाजपा को अधिक नुकसान होने का अंदेशा है और उनका बयान इस तथ्य की स्वीकारोक्ति है। गडकरी ने जो तीसरी बात कही कि उनकी पार्टी बाबा की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश करेगी, यह बाबा द्वारा उठाये गये मुद्दों की सहमति के साथ क्या यह स्वीकारोक्ति भी नहीं है कि पार्टी अपने तीन दशकों की राजनैतिक मात्रा में इनसे भटक गई है। भाजपा तथा अन्य पार्टियों पर जनता  ने कई बार विश्वास किया और उन्हें केन्द्र तथा राज्यों में सत्ता भी सौंपी पर हुआ क्या ? 
हर बार जनता छली ही गई न। ऐसी स्थिति में बाबा द्वारा स्वयं की नई पार्टी बनाने का निर्णय लेकर शायद ठीक हीं किया है परन्तु यह मिशन सहज भी नहीं है। भ्रष्टाचार उन्मूलन जैसे मुद्दों से सत्ता पाना भले ही सहज हो, एक भ्रष्टाचार से मुक्त व्यवस्था कायम करना उतना ही कठिन है सहज नहीं है। इस संबंध में बाबा की व्यूहचना पर भी गौर किया जाना चाहिए क्योंकि हर अच्छे लक्ष्य की सफलता के लिए सटीक व्यूहचना आवश्यक है। फिर यह मिशन तो ऐसी ताकतों के खिलाफ है जिनकी जड े गहरी है अतः अतिरिक्त सावधानी आवश्यक है।
अब इस संबंध में बाबा के विचारों को तौला जाए। देश में काले धन का आकलन बाबा रामदेव के अनुसार लगभग ३०० लाख करोड़ है जो ७० लाख करोड  काला धन केवल स्विस बैंक में होने के तथ्य के चलते गलत नहीं लगता।
वे इसे देश के ७० प्रतिशत गरीब जनता की भलाई के लिये उपयोग करना चाहते है। इसके लिये उन्होंने जो उपाय बताया उसके अनुसार  वर्तमान में जो मुद्रा चलन में है उसे निष्प्रभावी करने का सुझाव देते है। उन्होंने शिक्षा तथा कानून के क्षेत्र में भी बदलाव की बात कही है। निश्चय ही देश में काले धन का आकार और उससे उपजी आर्थिक सामाजिक समस्याऐं एक बडी राजनैतिक शल्य चिकित्सा की मांग करते है और इस गंभीर संकट से निजात दिलाने के लिये वे आगे आ रहे है तो यह सुकून देने वाली बात है। आज वे इसके लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति लगते है क्योंकि योग के कारण उनकी आवाज को एक सहज स्वीकृति मिली हुई है। 
उनके साथ समर्पित कार्यकर्ताओं और विचारकों की एक फौज होना भी एक सकारात्मक बात है परन्तु इन अनुकूलताओं के साथ यदि बाबा इस मिशन की ओर अधिक स्पष्टता तथा सुनियोजित कार्ययोजना के साथ बढ े तो यह उनके मिशन, और जनता के विश्वास दोनों के लिये हितकर होगा। इसके लिये वे भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था का एक विस्तृत खाका तैयार कर उन सभी पक्षों के समक्ष प्रस्तुत कर सकते है जो इसे लाइलाज मर्ज मानते है। 
यह खाका ऐसा होना चाहिये जिसमें कर चोरी की सुविधा और उससे बचने का विश्वास दोनों पर एक मुश्त प्रहार हो। इस कार्ययोजना का क्रियान्वयन भी सरल और स्पष्ट होना चाहिए। इसमें सूचना के अधिकार कानून के साथ संचार तकनीक का और बेहतर उपयोग हो सकता है। इतना सधने पर आगे का मार्ग स्वतः सुलभ होता जाएगा।
बाबा के मिशन के समाचार का समाचार का निष्कर्ष यह है कि विगत कुछ दशकों से भ्रष्टाचार के निर्द्वर्न्द्व विस्तार ने बदलाब का लावा तो खूब धधकाया है परन्तु स्वार्थो, लोभो और धन तथा सत्ता की शक्तियों के ग्लेशियर उन्हें फूटनें नहीं दे रहे है।
बाबा का मिशन इसे इन ग्लेशियरों से बाहर ला सकता है परन्तु यह उर्जा फिर एक नये भटकाव की ओर न जाए इसकी सावधानी नितांत आवश्यक है। इसके लिये बाबा रामदेव को अभी अपनी तैयारी में और अधिक समय देना होगा और जनता को जोड़ने का मिशन और मजबूत करना होगा। बाबा के संकल्प और मिशन दोनों को शुभकामनाए।
डॉ. जी.एल.पुणताम्बेकर, रीडर, वाणिज्य विभाग, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर

1 comment:

  1. I my opinion Baba is simply doing the Business. He is professional in doing. He kmow how to attract mob and how to play with emotions of Indians.


    Scorpio

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