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वादों को नही भूले राघव जी

प्रदेश के वित्त मंत्री राघव जी ने अपनी सरकार का बजट पेश करते हुए हमेशा की तरह जो शायराना अंदाज दिखाया, वह उनके बजट के लिए बेमेल नहीं था। पिछली जुलाई को केन्द्रीय बजट ने जिस प्रकार जनता को निराश किया उससे हटकर राघव जी अपने मुखयमंत्री के मिशन से मेल खाता बजट प्रस्तुत करने में सफल रहे। जनता का आर्शीवाद पुनः मिलने पर मुखयमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिन प्राथमिकताओं को तय किया था, राघव जी उसी की राजकोषीय व्यवस्था करते दिखे।

पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा, ग्रामीण विकास तथा महिला सशक्तीकरण के जिस एजेण्डे पर चलकर शिवराज सिंह पुनः सत्ता में आये उसके लिए बजट समर्पित रहा। विकास के साथ सामाजिक न्याय के लक्ष्य को साधना आज की परिस्थितियों में जितना कठिन दिखाई दे रहा है, यह बजट प्रस्ताव उससे उबरने का एक सफल प्रयत्न रहा। यदि विभिन्न पक्षों की अपेक्षाओं की बात की जाये तो किसी भी बजट की आलोचना करने के लिए प्रर्याप्त कारण मौजूद होते है परन्तु विपरीत परिस्थितियों में संकल्पों से न डि गने की दृष्टि से यह बजट उत्तम कहा जा सकता है।
प्रदेश में विगत तीन वर्षो के सूखे और इस वर्ष की मानसून की अनिश्चितता के बीच राघव जी का बजट ग्रामीण विकास और समाज कल्याण को समर्पित होगा ऐसी उम्मीद थी और ऐसा हुआ भी। अपने ४३९४९.४३ करोड रूपयें के बजट में ३८५४८.७० करोड रूपयों की राजस्व प्राप्तियों का ७१.४७ प्रतिशत कर राजस्व से जुटाने का संकल्प उत्साहजनक है। जब केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा ६.५ प्रतिशत के स्तर पर पहुॅच गया हो तब ५.५७ प्रतिशत की विकास दर हासिल करते हुए प्रदेश की राजकोषीय स्थिति को नियंत्रित रख घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के ३.०५ प्रतिशत पर रख पाना एक बड ी उपलब्धि है। चाहे सांकेतिक ही क्यों न हो परन्तु बजट में राजस्व आधिक्य का ऑकड ा यह तो बताता ही है कि राजकोषीय और बजट प्रबंधन अधिनियम २००५ के लक्ष्यों को टालने के स्थान पर यदि उन पर गंभीर हों तो सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते है।
मुखयमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शायद अपने पूर्ववर्ती दिग्विजय सिंह सरकार से यह सीखा है कि प्रदेश के ग्रामीण परिवेश में मूलभूत सुविधाओं के साथ कृषि विकास पर ध्यान केन्द्रित कर ही वे जनता के कोप भाजन से बच सकते है। वर्ष २००९-१० का यह बजट ऐसी ही सीख का दस्तावेज दिखाई देता है।
बजट में विद्युत क्षेत्र के लिए २८१७ करोड, ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए ७२८ करोड रूपयें के साथ १४ नये बिजली संयंत्र की स्थापना का लक्ष्य बिजली आपूर्ति के संकट के प्रति संवेदनशीलता दर्शाता है। कृषि को लाभकारी बनाने की संकल्पना को साकार करने के लिए सिचाई के लिए २४८५ करोड रूपयें, सूखा राहत के लिए ५८८ करोड रूपये, कृषि तथा मत्स्य क्षेत्र के लिए १६८६ करोड रूपयें का प्रावधान रखने के साथ ९० करोड रूपयें किसानो को गेहूँ पर बोनस देने के लिए रखे गये है।
हांलाकि केवल बजट आबंटन अनुकूल परिणामों की गारंटी नहीं देता परन्तु यह एक प्राथमिक तत्व तो है ही। इस बजट में किसानों को ऋण या ब्याज माफी की कोई बात न होना कुछ लोगों को अखर सकता है परन्तु इस प्रकार के खैराती उपायो से सम्पूर्ण वित्तीय स्थिति पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है और इसलिए अगर राघव जी ने इससे बचने का निर्णय लिया तो यह अधिक उचित है।
बजट मे यदि शिक्षा पर की गई इनायत की बात की जाये तो स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक विस्तार पर अधिक जोर है, गुणवत्ता पर कम। प्रदेश में ६८४ प्राथमिक शालायें, २३३ नए हाईस्कूल, २०० नए छात्रावास, २०० मॉडल हाईस्कूल, जबलपुर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय, ग्वालियर में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के लक्ष्य विस्तार के लिहाज से ठीक है परन्तु २८००० शिक्षाकर्मियों की भरती से शिक्षा में गुणवत्ता कैसे आएगी।
हर जिले में एक पॉलीटेक्निक कॉलेज खोलने के निर्णय के पूर्व प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के विस्तार की समीक्षा की जानी अधिक आवश्यक है। इस हेतु २६१ करोड का प्रावधान स्वागत योग्य है परन्तु यह किन मदो पर और किस प्रकार व्यय होगा, इस पर परिणाम निर्भर है।
यह आम धारणा है कि शिवराज सिंह चौहान की दूसरी पारी की सफलता उनके महिला सशक्तीकरण की योजना का फल है। अतः बजट में लाड़ली लक्ष्मी योजना को २७८ करोड रूपयें, जननी सुरक्षा योजना का विस्तार, ९६०० आंगनबाड ी केन्द्रो के लिए ३१० करोड रूपये तथा महिला एवं बाल विकास के लिए १६५५ करोड रूपये का प्रावधान अपने महिला मतदाताओं के लिए एक आभार ज्ञापन लगता है।
इसके अतिरिक्त ६ तथा ९ वी की सभी वर्ग की छात्राओं के लिए निःशुल्क साईकिल वितरण हेतु ६८ करोड का प्रावधान भी इसी लक्ष्य का भाग लगता है। राघव जी ने प्रणव दा के समान अपने चुनावी वादों को निपटाने में टालमटोल न करते हुए सस्ती दरो पर गेहूँ, चावल देने के लिए २४० करोड रूपये का प्रावधान यह बताता है कि वे चुनावी वादो को निबाहना जानते है। बजट में जल संकट के लिए नर्मदा जल योजना पर ४०० करोड रूपये तथा ग्रामीण पेयजल के लिए २६३ करोड रूपये की व्यवस्था करना तो उचित है परन्तु नगरीय जल प्रदाय के लिए २२ करोड रूपये तो ऊॅट के मूहॅ में जीरा है।
सड को के लिए ६४८८ करोड रूपये, राजीव गांधी स्वास्थ्य मिशन के लिए ९६२ करोड रूपये और गरीबों की चिकित्सा के लिए ३० करोड रूपये का प्रावधान बुनियादी सुविधाओं और सामाजिक कल्याण की दिशा में उठा एक सही कदम है।
राघव जी ने बजट में नगर पालिकाओं के लिए १९०० करोड रूपये का जो आबंटन किया है उसमें ऐसा लग सकता है कि मंत्री जी ने यह प्रस्ताव आगामी चुनाव को देखते हुए मतदाताओं को रिक्षाने के लिए किया हो परन्तु हमारे नगरीय निकायों की हालत तो ऐसी है कि यह प्रावधान भी नाकाफी लगता है। जहॉ तक औद्योगिक विकास का प्रश्न है, प्रदेश का देश में छठवें स्थान पर होने का राघव जी ने जो उल्लेख किया है। उसी दृष्टि से आगे की योजना के लिए कोई विस्तृत रोड मेप नहीं दिया गया है। शायद वे अपने निवेश सम्मलेनों के परिणामों के प्रति अधिक आश्वस्त होगे। बजट में वैट कर की दरो में जो थोड़ा बहुत बदलाव किया गया है वह भी कमजोर वर्ग को लाभ मिल सके इसी दृष्टि से किया गया है परन्तु यदि विपक्षी विधायकों की पेट्रोल, डीजल पर कर कम करने की माँग जिसमें जनता का भी व्यापक हित था, मानी जाती तो वह राजनैतिक और आर्थिक दोनो दृष्टि से लाभदायी होता। बजट में कर प्रशासन में सुधार लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की बात भी कही गयी है। इससे करदाताओं और प्रदेश के राजस्व दोनों को लाभ होगा।
जहॉ तक केन्द्र सरकार का दोहरे वस्तु एवं सेवा कर को २०१० से लागू करने के प्रस्ताव का प्रश्न है, राघव जी ने इसके आधार, प्रस्तावित दर तथा संवैधानिक स्थिति के बारे में जो आपत्तियॉ दर्ज की और सुक्षाव दिए, वे काबिले-गौर है। वास्तव में इसके लिए अभी तक पूर्ण तैयारी नहीं हुई है इसलिए दो वर्ष का और समय तथा केन्द्र द्वारा प्रायोगिक स्तर पर इसे पहले लागू कर परिणामों की समीक्षा का वित्तमंत्री का सुक्षाव उपयुक्त जान पड़ता है।
बजट में वित्तमंत्री तमाम वित्तीय सीमाओं के बाद भी अपने कर्मचारियों को नही भूले। उन्हे जुलाई से ४ प्रतिशत का मंहगाई भत्ता दिया गया है तथा पेंशन तथा पंचायत कर्मियों के वेतन भी बढ ाया गया है। ऐसा करते समय उन्होने यह भी स्पष्ट किया कि छठवें वेतनमान का लाभ देने के कारण इस मद में ६५ प्रतिशत व्यय बढ गया है। यह वित्तमंत्री द्वारा कर्मचारियों को इशारा है कि उन्हे अपनी मांगो के संदर्भ में कुछ इंतजार कर सरकार का सहयोग करना चाहिए।
इस प्रकार राघव जी द्वारा प्रस्तुत अपने छठवें बजट की दिशा कृषि शिक्षा तथा समाज कल्याण की तरफ इस प्रकार मुड ी हुई है कि जनता को उनसे कोई बड ी शिकायत नहीं हो सकती है। यदि कुछ अपेक्षाएं पूरी नहीं हो सकी है तो यह बजट उनके प्रति निराश भी नहीं करता। वित्तमंत्री के बजट भाषण का आखिरी शेर यही तो कहता था।

डॉ. जी.एल. पुणताम्बेकर रीडर, वाणिज्य विभाग डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर

1 comment:

  1. Ravi Batra, jahangerabad, Bhopal
    Very Down to earth analysis. thanks keep it up

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