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जनसंख्या नियंत्रण बिना विकास असंभव

देश की गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं बनाती है। लेकिन इन समस्याओं की विकरालता कम होती नजर नहीं आती। इसकी वजह यह है कि इन समस्याओं की जड़ पर चोट नहीं की जाती। परिणामस्वरूप एक तरफ योजनाएं चलती रहती है, दूसरी तरफ समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं। स्थिति ठीक ऐसी है कि आग बुझाने की बजाए धुंए को रोकने के उपाय किए जा रहे हैं।

समाज में भुखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी आदि समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है। हैरत की बात यह है कि अब तक देश या प्रदेश की सरकार ने जनसंख्या वृध्दि नियंत्रित करने के लिए कभी कोई ठोस योजना नहीं बनाई। इसके पीछे सरकार की मजबूरी समझ से परे है। लगता है नेताओं को देश से ज्यादा अपनी सरकार की चिंता रहती है। किसी को तो इस दिषा में पहल करने का जोखिम उठाने की हिम्मत जुटाना पड़ेगी। अन्यथा स्थिति ऐसी ही रहेगी।
सरकार जब तक स्कूलों की संख्या में डेढ़ गुनी करेगी तब तक विद्यार्थी दोगुने हो जाएंगे। यही हालत खाद्यान्न और रोजगार की रहेगी। लोगों में जागरूकता की भारी कमी है। लोगों के जागरूक होने की प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ रखकर बैठा नहीं जा सकता।
एक अरब से ज्यादा की आबादी जब तक जागरूक होगी तब तक जनसंख्या दो अरब तक पहुंच जाएगी। सरकार को सख्ती बरतना होगी। जनसंख्या नियंत्रण बिना देष और समाज का विकास संभव नहीं।

संतोष गौतम, वरिष्ठ पत्रकार, सागर, मप्र

4 comments:

  1. smita sonakiya,indore,MP
    aabaadi ne bharat ke vikas ke samikaran bigadne main koi kasar nahin chhodi hai. Is pahlu par sarkaron ko gambheerta se vichar karna chahiye.jan jagrukta hi is disha main achhe natije la sakti hai.

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    1. chal hat..................

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    please visit the blog
    kuch hatke

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  3. ye kya hai idiot kutte....

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