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अब बने मतदाता सूचना फोरम

इस बार के चुनावों में मतदाताओं ने अपनी ताकत का जो नज़ारा दिखाया उससे राजनेता कितनी सीख लेते हैं, यह तो वख्त बताएगा परन्तु मतदाता ने जिस परिपक्वता की नजीर पेश की उसे मजबूत करने तथा चुनावों के बाद के पांच वर्षों तक प्रजातंत्र के एक सजग प्रहरी के रूप में बदलने के लिये क्या किया जाना चाहिये, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

इस मुद्दे पर अनेक विकल्प सुझाये जा सकते हैं परन्तु यदि व्यवस्थाओं में शुचिता लाने और समाजोपयोगी व्यवस्थायें कायम करने के लिये स्थापित अनेक संस्थाओं और संगठनों के अनुभवों पर विचार किया जाए तो यह सामान्य निष्कर्ष निकलता है कि ये अपने लक्ष्य में सफल नहीं हुए। परिणामस्वरूप सामाजिक जीवन के लगभग सभी अंग दूषित होते गए। राजनीति इसका सबसे प्रदूषित क्षेत्र है और इस लिहाज से इसमें शुचिता का मार्ग तलाशना भी दुरूह कार्य ही है।
इस विषय पर विचार करते समय जो विकल्प सबसे पहले ज़हन में आता है उसे ''मतदाता सूचना फोरम'' नाम दिया जा सकता है। इस विचार का विस्तृत खाका तैयार करने के लिये सभी जागरूक मतदाओं और जिम्मेदार लोगों को अपना योगदान देना चाहिये। इस संबंध में प्रारंभिक स्तर पर कुछ विचार प्रस्तुत किये जा सकते हैं।
लोकतंत्र की पहरेदारी के प्रथम सोपान को ''मतदाता सूचना फोरम'' नाम देने के पीछे यह सामान्य निष्कर्ष है कि एक जिम्मेदार मतदाता बनने के लिये सबसे बड़ी बाधा वे सूचनाऐं न मिलना हैं जो आम जन के कल्याण को सीधे प्रभावित करने वाली हैं।
यद्यपि इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर ''सूचना का अधिकार कानून'' लागू किया गया है और इसका असर भी हो रहा है परन्तु अभी न तो मतदाता इसके प्रति पूर्णत: जागरूक है और न ही इसकी ताकत का उसे अंदाजा ही है। इस कानून को निष्प्रभावी बनाने के लिये प्रशासन भी कम प्रयत्न नहीं करता परन्तु इसका जो स्वरूप उभरा है वह कमोबेश व्यक्तिगत ही है। इसे सामुहिकता के लक्ष्य की ओर इस मतदाता सूचना फोरम के माध्यम से मोड़ा जा सकता है। यह फोरम उन सूचनाओं के संग्रहण और विश्लेषण का केन्द्र बनना चाहिये जिनका सीधा संबंध जनप्रतिनिधियों के आचरण और कार्य निष्पादन से है।
यह फोरम देश मे काम कर रहे तमाम संगठनों की भांति एक कागजी संगठन न बनकर प्रजातंत्र का एक सजग ओर निपष्पक्ष प्रहरी बने इसके लिए कुछ सावधानियां जरूरी हैं। ऐसा फोरम ईमानदार, प्रभावशाली और दबंग किस्म के व्यक्तियों द्वारा संचालित होना चाहिए और उसका राजनीतिक पार्टी से जुड़ाव नहीं होना चाहिए।
यह भी आवश्यक है कि फोरम निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों पर आधारित हो तथा इसमें नकारात्मक व सकारात्मक तथ्यों का भी बराबरी से आदान-प्रदान होना चाहिए। ऐसे फोरम के लिए उन सेवानिवृत अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं, जिनकी अपने-अपने क्षेत्रों मे स्वच्छ छवि हो। सूचनाएं जुटाने के लिए विभिन्न स्त्रोतों के साथ आम जनता का भी उपयोग किया जाना चाहिए। सूचनाएं तथ्यात्मक और प्रमाणिक की होना चाहिए और जरूरत के मुताबिक उनके स्रोतों को भी गुप्त रखने की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए।
यह फोरम जनप्रतिनिधियों के विरोधी के रूप मे न होकर मतदाता और जनप्रतिनिधियों के बीच एक समन्वयकारी तथा मार्गदर्शक की भूमिका निभाने वाला हो तो अधिका अच्छा है। ऐसा होने पर सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के संचालन में जनता की सीधी भागीदारी होगी तथा उनकी सफलता का स्पष्ट चित्र उभर सकेगा। ताजा चुनावों मे जनता ने जिस प्रकार विकास को महत्व दिया है उसी के चलते यदि विकास मे ऐसे फोरम के माध्यम से मतदाता की पांच सालों तक सक्रिय भूमिका रहे तो यह अधिक असरदार होगा।
फोरम मे विविध क्षेत्रों की सूचनाओं का आवश्यक सुधार हेतु भेजने से सरकार के कार्यकलापों का जो खाका तैयार होगा वह पार्टी आला कमान के साथ आम मतदाता को भी प्रजांतंत्र के पंचवर्षीय यज्ञ मे निरंतर जोड़े रखेगा। देश की बड़ी राजनैतिक पार्टियों के युवा तुर्कों को इस विचार पर मंथन कर विस्तृत रूपरेखा तैयार करना चाहिए। प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस विचार की पताका उठाने वाले सबसे योग्य युवा नेता हैं। उनसे अपेक्षाओं की लंबी सूची मे यह भी एक मुद्दा है।

डॉ ज़ीएल पुणताम्बेकर रीडर, वाणिज्य विभाग, डॉ हरीसिंह गौर विवि,सागर

2 comments:

  1. Simmy Disoza, Allapy,Keral
    You Suggestion Is very Good. I Hope People Will take Initiative in this direction before long. Thanks. Keep It up

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  2. Prakash mishra, firozabad up
    Bahut achha sujhav hai.

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