भारतीय राजनीति की दशा और दिशा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के गौरव के साथ एक आदर्श लोकतांत्रिका परंपरा के लिहाज से कैसी है यहा किसी से छिपा नही है चुनाव-दर -चुनाव उसका स्वरूप जहाँ विकृत हो रहा है वहीं छोटे पैमाने पर ही सही सुखद बदलाव भी देखने को मिल रहे है। इस बार बार दोनो बढ़ी पार्टियों कांग्रेस व बीजेपी मैं निष्ठा पार्टी से कम टिकिट मिलने से अधिक देखी गई है। चुनावी मैदान में उतरे महारथियों की चिंता जीतने के गणित में ऐसी उलझी है की जनता तो मात्र एक वोटर लग रही है। अमेरिका जैसी वैचारिक बहस की तो कल्पना ही करना बेकार है। तमाम विपरीत बातों के बीच यहा खबर सुखद है की इंदौर विधान सभा क्रमांक 5 की जनता ने प्रत्याशियों को वोट मगाने ना आने का बकायदा अभियान चलाया है। उन्होने बैनर बनाकर उस पर लिखा है कि पहले 15 सालों के विकास का हिसाब दें नही तो ना आएं और अपमानित होने से बचे.
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जीएल पुणतांबेकर सागर
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