भरत यह जानकर बड़े दुखी हुए कि उनके बड़े भाई को चौदह साल का वनवास दिया गया है। वे दुखी मन से मुनि भारद्वाज के पास पहुंचे। वहां मुनिवर ने उन्हें समझाया कि इस सब मे तुम्हारी मां कैकयी का कोई दोष नहीं हैं। परमात्मा की जैसी इच्छा होती है वैसा ही होता है।
तुम्हारी मां ने राम को वनवास दासी मंथरा के कहने पर दिया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मां सरस्वती ने उनकी बुद्धि खराब कर दी। मां सरस्वती ने भी यह स्वप्रेरणा से नहीं वरन देवताओं की प्रेरणा से किया और देवताओं को स्वयं भगवान ने प्रेरित किया था।
इसी सिलसिले मे भारद्वाज मुनि कहते हैं कि मुझे मेरे जप-तप का फल तब मिला जब एक रात परमात्मा मेरी कुटिया मे आ गए। लेकिन यदि जप-तप का फल राम दर्शन है तो राम दर्शन का फल क्या है? यह फल भरत तुम्हारा दर्शन है। संसार में सबकुछ मिल जाता है लेकिन संतों का सानिध्य दुर्लभ है।
तुलसी-पत्र से भगवान शालिगराम और श्री हरिनारायण विल्व-पत्र से भगवान प्रसन्न होते हैं। समवदर्शी होना जरूरी है लेकिन समवर्ती नहीं होना चाहिए। हम अपने काम स्वयं करते हैं इसलिए असफल हो जाते हैं लेकिन भक्तों के काम परमात्मा स्वयं करते है इसलिए वो सफल होते ही हैं।
बाल मुरारी बापू कहते हें कि भगवान अपने भक्तों के प्रति मां-बच्चे के बीच जैसी करूणा रखते हैं।
इसी सिलसिले मे भारद्वाज मुनि कहते हैं कि मुझे मेरे जप-तप का फल तब मिला जब एक रात परमात्मा मेरी कुटिया मे आ गए। लेकिन यदि जप-तप का फल राम दर्शन है तो राम दर्शन का फल क्या है? यह फल भरत तुम्हारा दर्शन है। संसार में सबकुछ मिल जाता है लेकिन संतों का सानिध्य दुर्लभ है।
तुलसी-पत्र से भगवान शालिगराम और श्री हरिनारायण विल्व-पत्र से भगवान प्रसन्न होते हैं। समवदर्शी होना जरूरी है लेकिन समवर्ती नहीं होना चाहिए। हम अपने काम स्वयं करते हैं इसलिए असफल हो जाते हैं लेकिन भक्तों के काम परमात्मा स्वयं करते है इसलिए वो सफल होते ही हैं।
बाल मुरारी बापू कहते हें कि भगवान अपने भक्तों के प्रति मां-बच्चे के बीच जैसी करूणा रखते हैं।
'' राम सदा सेवक रूचि राखी।
वेद पुराण साधु सब साखी।।
वे कहते हें कि भक्त तो हमेशा भगवान को याद करते हैं लेकिन कुछ भक्त ऐसे होते हैं जिन्हें स्वयं भगवान याद करते हें। भरत, हनुमान व महाराज उद्धवजी ऐसे ही भक्त हैं। जिस भक्त को भगवान एक बार भी याद कर लेते हें उसका तो बेड़ा पार हो ही जाता है।वेद पुराण साधु सब साखी।।
संवाददाता- पं० के के तिवारी
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