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रूठों को मनाने की कवायद..

भाजपा इन दिनों जिले मे जगह-जगह कार्यकर्ता सम्मेलनों के जरिए नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने और सोए हुए संगठन को सकिय करने मे जुट गई है। विगत साढ़े चार सालों से उपेक्षित तथा सरकारी मिशनरी द्वारा तिरस्कृत किए जाने की वजह से कार्यकर्ता घर बैठ गए हैं। विधानसभा चुनाव सर पर होने की वजह से क्षत्रपों को चुनाव जीतने के लिए कार्यकर्ताओं की याद सताने लगी है।
भाजपा शासन काल मे सत्ता के दलाल खूब फले-फूले, उनके आकार प्रकार और श्री संपदा मे इस दौरान गुणात्मक वृद्धि हुई। यही क्षत्रप एवं सत्ता के दलाल सरकारी अमले की पीठ थपथपाते रहे और कार्यकर्ताओं को ईमानदारी का पाठ पढ़ाते रहे। कार्यकर्ताओं द्वारा गाहे-बगाहे विभिन्न मंचों व कार्यक्रमों मे अपनी पीढ़ा भी व्यक्त की गई कि वे कांग्रेस के शासन काल मे तो अधिकारियों तथा कर्मचारियों से जनता के कार्य करवा लेते थे, लेकिन पार्टी की सरकार में उनकी कोई नहीं सुनता। उनके इस दर्द को किसी ने नहीं सुना। शायद यही वजह हे कि जिले मे कमलदल के सभी आयोजन फ्लाप शो रहे।
इन दिनों विधानसभा स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलनों का दौर चल रहा है। उन तिरस्कृत कार्यकर्ताओं को अच्छा भोजन करवाकर चुनाव संग्राम मे कूदने का आव्हान किया जा रहा है। अब तक के हालातों पर गौर करें तो इन सम्मेलनों की आक्सीजन भी मृत संगठन मे प्राण फूंकने मे नाकाम होती दिख रही है। सियासी प्रेक्षकों का मानना है कि भाजपा ने कार्यकर्ताओं को तरजीह देने में काफी देरी कर दी है। अब उसे शायद ही सम्मेलनों का लाभ मिले। किसी ने ठीक ही कहा है।

अब होश आ रहा है, जब अक्ल खो रही है।
सोने जा रहे हो, जब सुबह हो रही है।

संघम् शरणम् गच्छामि....

भाजपा के युवा जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र जैन को इन दिनों संगठन से अधिक अपने टिकिट की चिंता सता रही है। 'दिन मे नहीं चैन रात में नहीं निंदिंया' की तर्ज पर वे जिले मे सुरखी, रहली और बंडा को छोड़ शेष 3 सामान्य क्षेत्रों पर पैनी निगाह गड़ाए हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा समर्थक श्री जैन की प्राथमिकता सागर विधानसभा क्षेत्र है लेकिन सुधा जैन जी को नहीं डिगा पाए तो देवरी या खुरई से टिकिट पाने की आस मे दोनों राजधानियों तक दौड़ रहे हैं। पिछली बार टिकिट से चूके शैलेन्द्र जी 'अभी नहीं तो कभी नहीं' जैसी स्थिति मानकर संघम् शरणम् गच्छामि हो गए हैं।

भाजश मे घमासान.....

भले ही भाजश का ग्राफ जिले मे घटता जा रहा हो, लेकिन पार्टी के कागजी शेरों मे घमासान मचा हुआ है। घमासान जनाधार बढ़ाने की बजाए सिर्फ वर्चस्व कायम करने को लेकर है। पार्टी के पराजय दर पराजय झेलने वाले जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह सुमरेड़ी की स्थिति आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर रणछोड़ जैसी हो गई है। पहले सुरखी और अब खुरई से भी चुनाव नहीं लड़ने की मंशा जाहिर करते फिर रहे हैं। सागर शहर मे नगर अध्यक्ष श्रीमती संध्या भार्गव एवं प्रदेश सचिव मुकेश जैन मे टिकिट को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है। देवरी विधानसभा क्षेत्र मे उमाजी की दो सफल सभाओं से यहां दावेदारों मे घमासान मचने के संकेत हैं। सियासी प्रेक्षकों का मानना है कि जिले में भाजश के पास जीत सकने वाले उम्मीदवारों का टोटा है।

गुरू भैया शुरू...

युंका के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष अभय जैन 'गुरू भैया' सागर विधानसभा क्षेत्र से टिकिट पाने सक्रिय हो गए हैं। युंका के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हरियाणा के परिवहन मंत्री रणदीप सिंह सूरजेवाला से गुरू भैया के नजदीकी संबंध सर्वविदित हैं ही। नेहरू परिवार पर उनका शोध ग्रंथ कांग्रेस के आला नेताओं के पास है ही। ये दो कारण श्री जैन के लिए सहायक हो सकते हैं। क्षेत्र मे सामाजिक और राजनीतिक पैठ को लेकर ढोलक परिवार से सभी भिज्ञ हैं।

हाथी का खौफ...

गत दिनों हाथी जिले के 6 विधानसभा क्षेत्रों मे खूब दौड़ा। उप्र के श्रममंत्री कुंवर बादशाह सिंह ने बीना, खुरइ, सुरखी, नरयावली, बंडा और सागर क्षेत्र मे भाई चारा बनाओ सभाओं के जरिए चुनाव का शंखनाद कर दिया है। इन सभाओं मे अजा वर्ग के अलावा सर्वर्णों की खासी मौजूदगी से भाजपा और कांग्रेस नेताओं के चेहरे मुरझा गए हैं। अभी रहली एवं देवरी क्षेत्र मे हाथी का घूमना शेष है।
श्रम मंत्री पृथक बुंदेलखण्ड की आवश्यकता और पिछडे़पन को लेकर कांग्रेस-भाजपा पर खूब बरसे। बादशाह सिंह की सिंह गर्जना के बाद से यहां सियासी हलकों मे हाथी के खौफ की चर्चा चल पड़ी है।

विवाद कार्यवाहकों का...

कांग्रेस मे चुनाव सर पर होने के बावजूद कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। पहले शहर और ग्रामीण अध्यक्षों द्वारा पार्टी विधान के विपरीत प्रवक्ताओं की फौज खड़ी करने को लेकर विवाद रहा और इन दिनों प्रदेश सचिव पं० हरिओम शर्मा द्वारा दो कार्यवाहक मंडल अध्यक्षों की घोषणा के साथ विवाद इतना गहरा गया कि मामला दिल्ली तक जा पहुंचा।
खुरई के प्रदेश महामंत्री पं० अरूणोदय चौबे विरोधी खेमे के श्री समैया को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया तो नयावली क्षेत्र मे पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी विरोधी खेमे के ठाकुर हनुमत सिंह को कार्यवाहक नियुक्त करने को लेकर घमासन मच गया। अब अन्य मंडलों मे नियुक्तियां रोक दी गईं हैं। पं० हरिओम शर्मा कांग्रेस के जिला ग्रामीण के प्रभारी जरूर हैं लेकिन नेतृत्व ने उन्हें टिकिट आवंटन के या अन्य कोई अधिकार नहीं दिए हैं। लेकिन एक गुट विशेष के ईशारे पर काम करने को लेकर यहां कांग्रेस मे आंतरिक कलह गहरा गई है।

और अंत में...

उमाजी समर्थक कमलदली विधायकों और नेताओं में भविष्य को लेकर घबराहट है। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा 3 विधायकों का टिकिट कटना लगभग तय है। सूत्र के अनुसार उमा समर्थक सांसद से चोट खाई भाजपा अब एकदम दोहरी निष्ठा वालों को विधानसभा चुनाव में नकार रही है। वहीं भाजश लोधियाना क्षेत्रों तक मे जीतने का माद्दा नहीं रख ती। सो कमलफूल सुंघ-सूंघ कर सत्ता का स्वाद चख चुके उमा समर्थकों को नए ठिकाने की तलाश मे बताया जाता है। आखिर उन्हें कुर्सी का स्वाद जो लग गया है।

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