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कलह ताल मे डूबता कमल दल...

रामशंकर तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार
जिले मे विधानसभा चुनाव करीब होने के बावजूद कमलदल मे कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बात की चिंता ने तो संगठन को है और नही जनप्रतिनिधियों को। 27 जनवरी 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आगमन पर उमडे जन सैलाब के बाद से लगातार फ्लापशो हो रहे हैं। विगत दिनों भाजपा के राष्टीय महामंत्री और प्रखर वक्ता विनय कटियार की सभा मे पूरे जिले से चार अंकों मे भी मीड नहीं जुट पाना कमलदल की जिले मे बेहद गंभीर हालात को दर्शाता है।
शहर मे पार्टी के दो मंडलों सहित दो दर्जन से अधिक मोर्चा प्रकोष्ठ हैं। उनके पदाधिकारियों की संख्या सैकडों मे है और वे सभी भाजपा के जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र भैया के पसंदीदा हैं। सूत्रों के अनुसार सबसे निष्क्रिय और कमजोर संगठन शहर मे माना जा रहा है। अन्यथा मेडीकल कॉलेज के भूमिपूजन समारोह से लेकर कटियार की सभा तक संभाएं फ्लाप नहीं होतीं, क्योंकि अन्य दलों के ऐसे आयोजनों मे भी भीड शहर से ही उमडती है। सियासी प्रेक्षकों का अनुमान है कि जिले मे संगठन आक्सीजन पर है। संगठन मंत्री और जिलाध्यक्ष का ऐसा प्रेम कार्यकर्ताओं से तालमेल मे बाधक है। भैया के इर्द-गिर्द दागदार काकस मंडली का मजबूत घेरा संगठन को कमजोर बनाए हुए है। बुंदेल्खण्ड की केन्द्र सरकार द्वारा कथित उपेक्षा के विरोध मे प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र तोमर के नेतृत्व मे धरना और मुख्यमंत्री के आथित्य मे हुई सभा की हालात भी अत्यंत सोचनीय रही थी। प्रेक्षकों का मानना है कि कमलदल भी सत्ता के दलालों की गिरफ्त मे है। सो उन्हें यह नहीं दिखाई दे रहा है कि कमलदल के कलहताल मे कमल का फूल मुरझा रहा है।
सागर पर टिकी है नजर जैनियों की....
भाजपा नेत्री सुधा जैन ने सागर क्षेत्र से लगातार तीन बार चुनाव जीतकर रिकार्ड कायम किया है। अब सभी दलों के जैन नेता सागर पर नजर गढाए हुए हैं। भाजपा के शैलेन्द्र जेन, कांग्रेस से नवीन जैन एवं पूर्वमंत्री प्रकाश जैन, हाल ही मे बसपा मे शामिल हुए डॉ० गुलाब जैन समैया, राकपां से सुनील जैन, सपा से असर्फीलाल जैन व भाजश से मुकेश जैन ढाना सागर से चुनाव लडकर विधानसभा तक पहुँचने का सपना संजोए हुए हैं। हालांकि अभी लोजपा, लोसपा, जेएनडी, भाकपा और माकपा के पत्ते खुलना शेष है। पिछले चुनावों मे सुधाजी के खिलाफ सपा ने डॉ० प्रकाश्‍ा जैन को मैदान मे उतारा था, लेकिन यदि सभी दलों ने चुनावी महासंग्राम मे तराजुओं को ही उतारा तो पहली मर्तबा सागर मे अद्भुत चुनावी नजारा देखने को मिल सकता है। हालांकि ऐसी संभावना कम ही नजर आ रही है।
और अब पंडित याद आए...
विस चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस विधायक ठा।गोविन्द सिंह राजपूत को सुरखी क्षेत्र के पंडितों की पहली दफा याद आई। पिछले चुनाव मे अजा वर्ग और अल्पसंख्यकों पर डोरे डालकर चुनावी वैतरणी पार की थी लेकिन बसपा की सक्रियता ने राजपूत का सुखचैन लगभग छीन सा लिया है। क्षेत्र मे ब्राह्राण मतदाताओं की संख्या अधिक होने से तिलकों के पांव पखारना लाजमी है। गुरु पूर्णिमा के ठीक एक दिन पहले रवीन्द्र भवन मे सुरखी क्षेत्र के पंडितों का समारोहपूर्वक सम्मान कर राजपूत परिवार ने उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का प्रयास किया है। लेकिन समारोह मे राजनैतिक रंग चढ जाने से अपेक्षित संदेश जनता मे नहीं गया। उतने पर एक भाजपा के सहकारिता नेता ने आयोजन की बखिया उधेड दी। नेताजी कहिन भाजपा सुरखी क्षेत्र से एक प्रतिष्ठित चिकित्सक को चुनाव मे उतार रही है, सो भनक लगते ही राजपूत परिवार द्वारा आनन फानन मे समारोह आयोजित कर डाला।
अलटी-पलटी...
देवरी क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं उद्योगपति सुनील जैन की अंतत: कांग्रेस मे वापिसी नहीं हो सकी। सूत्रों के मुताबिक प्रभाराव, विद्या भैया और डॉ० रमेश चैनीथला तक मुकेश नायक के माध्यम से डोरे डाले गए, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी भी सुनील भैया को राहत नहीं दिला पाए। सो अब उनके समर्थकों का कांग्रेस से मोहभंग होता लग रहा है। गत दिनों भैया के कट्टर समर्थक और युकां के महामंत्री संजय चौबे का भाजपा प्रवेश इसी कडी मे माना जा रहा है। भाजपा अध्यक्ष के जन्मदिन पर सेवादल के पूर्व अध्यक्ष विजय साहू समेत अनेक कांग्रेसी उनके निवास तक गए। सियासी हलकों मे कयास लगाएजा रहे हैं। विधानसभा चुनाव को मद्देनजर और अलटी-पलटी बढेगी.....।
चर्चा भाजश की...
सियासी हल्कों मे इन दिनों यह खबर चर्चा मे है कि बंडा क्षेत्र से भाजश का उम्मीदवार कौन होगा? अंदरखानों की चर्चानुसार क्षेत्र के ही जलसंसाधन विभाग के सेवानिवृत इंजीनियर जो कि पिछडावर्ग से संबंधित है चुनाव मैदान मे उतरेंगें। सूत्र के अनुसार उमाजी से उनकी चर्चा भी हो चुकी है। हालांकि उनका परिवार वर्तमान मे तो भाजपा मे अहम पद पर है लेकिन चुनाव आते-आते उमाजी की शरण मे चला जाएगा।
चर्चा सर्वेक्षण की..
कांग्रेस के विधानसभा चुनाव के लिए टिकिट के दावेदारों की हालत "दिन नहीं चैन रात नहीं निदिंया" जैसी हो चली है। जिले के कुछ दबंग नेता जो अपना टिकिट पक्का मानकर चल रहे थे, पार्टी नेतृन्व द्वारा फिर से गोपनीय सर्वे कराए जाने की खबर से उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई है। दिल्ली से लौटे असरदार कांग्रेस के नेता के अनुसार पूर्व मे कराया सर्वे लीक हो जाने की वजह से अब नए तरीके से गोपनीय सर्वे कराया जा रहा है। अब प्रत्येक विधानसभा से क्षेत्र से तीन हजार से चार हजार मतदाताओं से जीत सकने वाले टिकिटार्थियों के मामले मे राय जानी जा रही है।
और अंत में...
कांग्रेस इन दिनों वाकई काफी सक्रिय है। शायद ही अवकाश दिवस को छोड ऐसा कोई दिन शेष रहता हो जब कांग्रेसजनों ने राज्यपाल या मुख्यमंत्री के नाम दो-तीन ज्ञापन प्रशासन को न सौपे हों। नेतागण ज्ञापन फोटोग्राफर के बगैर सौपने मे अपनी तौहीन समझते हैं। आखिर पार्टी नेतृत्व को सक्रियता भी तो दिखाना है और ऐसा
करने के लिए अखबार की कतरन भी तो चाहिए। सो चाहे शहर कांग्रेस हो या ग्रामीण, जनता के बीच जाने की मशक्कत कौन करे। ज्ञापन और अखबार की कतरन सबसे सस्ता रास्ता माने जाना लगा हे सक्रियता का।

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